क़ब्रों को पक्की बनाने की मनाही
क़ब्रों को पक्की बनाने की मनाही
★ हज़त जाबिर रज़ि० कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पक्की कब्रें बनाने और उन पर भवन (गुंबद वग़ैरह) बनाने से मना किया। और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने क़ब्र पर बैठने और उन की तरफ़ मुंह कर के नमाज़ पढ़ने से भी मना फ़रमाया है, चाहे कोई मुजाविर बन कर बैठे, या चिल्ला खींचने के लिये, सब हराम है।
[मुस्लिम - किताबुल जनाइज़, हदीस न० 970]
★ नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने क़ब्रों पर लिखने से भी मना फ़रमाया है।
[अबू दावूद-किताबुल जनाइज़, हदीस न० 3225, 3226 + हाकिम और ज़हबी ने सहीह कहा है।]
★ हज़त अली रज़ि० बयान करते हैं कि मुझे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने निर्देश दिया कि हर चित्र (चेहरा, मूर्ति) मिटा दूं और हर ऊँची क़ब्र बराबर कर दूं।
[मुस्लिम-किताबुल जनाइज़, हदीस न0 969]
★ हज़रत उम्मे हबीबा और उम्मे सलमा रज़ि० ने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से एक गिरजा का ज़िक्र किया जिस में चित्र लगे थे, तो आपने फ़रमाया :
"जब उन में का कोई नेक आदमी मर जाता है तो वह उस की क़ब्र पर मस्जिद बनाते और वहां चित्र बनाते हैं। क़ियामत के दिन यह लोग अल्लाह के सामने सग (कुत्ते) से बुरी मख़लूक़ होंगे। "
[मुस्लिम-कित्ताबुल मसाजिद, हदीस न0 528]
★ नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "अल्लाह यहूद और नसारा पर लानत करे जिन्होंने अपने सन्देष्टाओं की क़ब्रों को मस्जिदें बना लिया"
★ हज़रत आइशा रज़ि० ने फ़रमाया : अगर इस बात का डर न होता कि लोग आप की क़ब्र को मस्जिद बना लेंगे तो आप की क़ब्र खुले स्थान पर होती।
[बुख़ारी -किताबुल् जनाइज़, हदीस न० 1390, 1330, + मुस्लिम, हदीस न0 529]